बेनकाब नहीं होती
बेनकाब नहीं होती

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मुझे आदत है, दर्द में मुस्कुराने की
मैं उदासी का जामा नहीं पहनती
हर कोई समझ ले मुझे
इतनी आसान भी नहीं
मैं हर किसी को राजदार नहीं बनाती
तू अंदाज़ा लगा सकता नहीं
मेरे चेहरे से मेरी शख्सियत का
मैं हर किसी के सामने
बेनकाब नहीं होती..