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Rachna Vinod

Others

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Rachna Vinod

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बेनाम बाशिंदे

बेनाम बाशिंदे

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दिन को रात, रात को दिन कहते-करते

इक-दूजे के बिन फिर भी न रहते

प्यार में बंधे बेनाम बाशिंदे

चलते-फिरते इल्ज़ाम सहते, ताने सहते।


बड़ा नाम करते-करते

अनाम-बेनाम बदनाम होते-होते

दबी हसरतों का ले जनाज़ा

गुमनाम रह गुमनामी में जीते।


बहादुर बनते छुपते-छुपाते

कुछ कहने से कतराते

बुतपरस्त या बुतशिकन बन

अथाह अंधकार में खो से जाते।


नई तरंगों में तरंगित होते

नई उमंगों में उकसित होते

अधूरी आस पूरी करने में

सब कठिनाइयां सहते जाते।


सदी, सहस्त्राब्दी को पल में बदलते

पल को सहस्राब्दी, सदी में बदलते

इक-इक पल की बन के ज़ुबां

क़िस्मत का फेर-बदल खरा बदलते।



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