बेखौफ निगाहें
बेखौफ निगाहें
स्त्रियों में ऐसा क्या है, जों वो नजरों से परख लेती हैं
शायद उनकी मासूमियत, उन्हें इसकी ताकत देती है।
नैनो में मानो स्कैनर सा लगा हों, जो सबका चरित्र जांचें
उनकी भयहीन नज़रें, हमेशा गुण- दोष वाचे।
टकटकी लगाए घूरते, दो नशीले नैन
बेखौफ होकर छीनते, दिल जिगर का चैन।
उम्मीद ऐसी बांधती, है नैनो की जोड़ी
फीकी सी पड़ जाती, रंगबाजी भी थोड़ी।
भावों में सैलाब, सा उमड़ पड़ता
कशमकश से रोज, दिल सदा लड़ता।
बुरा होकर भी इंसान, अच्छा बनने लगता
निगाहों का पहरा, हर बुराई ठगता।
कभी कभार लगता, इन्हे बॉर्डर भेज दो
सैनिकों की छुट्टी, का ऑर्डर भेज दो।
अगर जीतना हों तो दिल जीते, हारना हों तो दिल हारे
एक दूसरे के दोष नहीं, एक दूजे के गुण स्वीकारे।
तरक्की और प्रसार करो, ना कभी संहार करों
इश्क में भी युद्ध है, प्रीत का व्यवहार करो।
निगाहों को और पैना करे, दिल की राह दिखाई दे
बेखौफ नज़रें कह रहीं है, प्रेम की अगुवाई दे।