Bhoop Singh Bharti
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बेकारी बढ़णे लगी, आफत म्ह आवाम।
अर्थव्यवस्था देस की, नीचै गिरी धड़ाम।
नीचै गिरी धड़ाम, काम के होरे लाले।
महंगाई की मार, टांट म्ह हुये फफाले।
कोरोना की देख, किसी आई बेमारी।
रोजगार कै लगी, आग छाई बेकारी।
झूमता बसंत है
कुंडलिया : "म...
कुंडलिया
कुंडलिया : "प...
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रैड क्रॉस
गीत