बेजुबान जानवर..
बेजुबान जानवर..
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बेजुबान,
जिसकी जुबान नहीं।
है हर जगह,
पर बोलते नहीं।
दर्द,दुख हो तो,
सह देते हैं।
कोई तकलीफ हो तो,
दबा लेते हैं।
पर यह दुनिया की,
बात निराली है।
जो कम बोलो,
वह कम पड़ जाए।
जो सुंदरता को,
कैद कर लेता है।
खूबसूरती को याद रखते हैं,
खूबियों को भूल जाते हैं।
ऐसे लोग कहां से आते हैं..
पर यह जानवर ,
जिनके अंदर इंसानियत है।
इंसान ना होकर भी,
इंसान से बढ़कर है।
भगवान के समान है.....
भगवान से बातें करते हैं,
सब को दिल में रखते हैं।
सचमुच हर बेजुबान में,
परमेश्वर ही बसते हैं।
