Uttra Sharma

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बेगुनाह

बेगुनाह

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गुनहगारो ं को कोई कुछ नहीं कहता

बेगुनाहों को सुली पे चढ़ा देते लोग। 

मुझे तो मार दिया मेरी शराफत ने। 

मुर्गा बांग देता हररोज मुझे जगाता। 

उसे क्या पता कल कत्ल हो जाएगा। 

मुर्गे की माँ कहती है सुंदर लाल कलगी

सजी है। जैसे कोई ताज सजा है मेरे बेटे

के सिर पर। वो इठलाता है राजा बेटा

देखो सभी मुर्गियों पे राज करता है। 

मटक-मटक-मटक चलता है। 

पंख- पंख- पंख काट दिया जालिम ने। 

पंजा- पंजा-पंजा नोच डाला जालिम ने। 

तब भी न मन भरा उसका कड़ाही में

डाल उबाल दिया मुर्गी हंस रही है। 

कसाई ने पूछा-मैं तेरे बेटे को काट

कर उबाल रहा हूं तू फिर भी हंस रही है।

अरे मैं इसलिए हंस रही हूँ

जो मेरा बेटा था वो मेरा बेटा नहीं

तेरा बाप था, तेरा बाप था पिछले

जन्म में वो बांग देता हररोज तुझे

जगाता था बेटा जो गुनाह मैने 

किया वो तू मत कर, तू उसकी

भाषा को न समझा,, मैं समझ गयी

क्योंकि मैं उसकी माँ हूँ।

वो तेराबाप था पिछले जन्म का

कुड़-कुड़ करके एक कोने में जा बैठी मुर्गी। 



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