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RAJESH KUMAR

Children Stories Inspirational

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RAJESH KUMAR

Children Stories Inspirational

बदलते नहीं?

बदलते नहीं?

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लोग बदलते क्यों नहीं?

ऐसा होता क्यों नही?

वैसा होता क्यों नहीं?

लोग सुधरते क्यों नहीं?


सब ठीक होते क्यों नहीं?

सब ठीक बोलते क्यों नहीं?

सब ठीक चलते क्यों नहीं?

सब संभलते क्यों नहीं?


महंगाई कम होती क्यों नहीं?

रोजगार मिलता क्यों नहीं?

सड़क ठीक होती क्यों नहीं?

गरीबी हटती क्यों नहीं?


बच्चे पढ़ते क्यों नहीं?

संस्कार बदलते क्यों नहीं?

शिष्ट होते क्यों नहीं?

अनाचार रुकते क्यों नहीं?


मजदूरी बढ़ती क्यों नहीं?

मजबूरी रुकती क्यों नहीं?

निराशा कम होती क्यों नहीं?

आशा जगती क्यों नहीं?


इसी ऊहापोह में

है,गुजरती जिंदगी

"क्यों" और "नहीं"

शब्द क्या होंगे खत्म?

ये तो हैं अनन्त,


अपने को साधने

अपने को सुधारने

कर्मशील होने से

स्वविवेक जाग्रत करने


नजरअंदाज करने से

अंदाज़ बदलने से

क्यों से "क्या बात है"

नही से ,"हो रहा है"

कहने से,


मैं से तुम

तुम से वें

वें से सब

सब से जग,


बदल सकेगा

ऐसा हो कर ही

मन, मानुष, मनुष्य

धरा, धारा, वसुंधरा 

बदल सकेगा,


बदलते "क्यों" नहीं से

"कैसे" बदल सकेगा।

असम्भव भी संभव

दिखने होने लगेगा।



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