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Prashant Kaul

Others

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Prashant Kaul

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बदले हालात

बदले हालात

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आजकल तुम नजरें मिलाती नहीं,

प्यार के मायने बदले बदले से लगते हैं।


तुम्हारी हंसी आंखों तक जाती नहीं 

अब सब किस्से ख़फा ख़फा से लगते हैं।


तुम्हारे लबों पे जो होते थे गीत हमारे लिए 

उन के सुर भी अलग अलग से लगते हैं।


निखारता था जो काजल तुम्हारी आंखों का नूर 

अब क्यों काले साये से लगते हैं?


बाहें तुम्हारी अब हमें उलझाती नहीं, 

ख्वाब जो देखे थे साथ अब वो भी बेगाने बेगाने से लगते हैं।


हमारे अश्क अब तुम्हें दिखते नहीं,

दर्द दूसरों के अपने अपने से लगते हैं।


अब तुम्हारे पास हमारे लिए वक्त कहां

सेकंड भी तुम्हारे कीमती से मालूम पड़ते हैं। 


जान लेते अगर तुम्हारे दिल की बात तो शायद कुछ कर पाते

फिलहाल तो फ़ना हो जाने जेसे हालात लगते हैं।



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