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Ritu Garg

Children Stories

4  

Ritu Garg

Children Stories

बचपन

बचपन

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वो गुजरा जमाना याद आता है,

वो बचपन बहुत याद आता है।

वो नादानियां , वो  मासूमियत,

 मनमानियां याद दिलाता  है।  

 

 भाई बहनों का प्यार,

 बड़े भाई का असरदार किरदार,

दीदी का मां सा दुलार,

ठंडी हवाओं की सी बोछर सा,

वो बचपन बहुत याद आता है।


कभी कांधे पर ,कभी पैदल चलना,

कभी उंगली थामे मचलना

कभी रोना ,कभी हंसना,

बहुत कुछ याद दिलाता है

वो बचपन बहुत याद आता है।


वह सोंधी महक धरती की,

वह गलियां अपनों की

वो ठीठोलिया बचपन की

मस्त हवाओं सा जीवन 

वो बचपन बहुत याद आता है।


वह मां के आंगन का बचपन

बहुत कुछ कहकर जाता है,

कभी रूस कर बैठ जाना कोने में

कसक एक छोड़कर जाता है

वो बचपन बहुत याद आता है।


वो सादगी भरा जीवन

वो चूल्हे की सिंकी रोटियां

मक्खन की महक सा

मीठी मीठी कहानियां सा

कोई खुशबू छोड़ जाता है

वो बचपन बहुत याद आता है।


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