बचपन वाली प्रीत-क्या यही प्यार
बचपन वाली प्रीत-क्या यही प्यार
तुमने भी क्या कभी है जोड़ी बचपन वाली प्रीत
हो वर्षों तक बेटोक निभाई जैसे कोई रीत
भाया था क्या पगडंडी पर हाथ थाम कर चलना
और सखियों संग उसकी बातों का भी तुम को
खलना
क्या तुमने थे कभी लिखे वह महक गुलाबी पत्र
अश्रुओं को भी कभी बनाया था क्या अपना शस्त्र
कैसे-कैसे सपने नयन देखा करते थे दिन रैन
बिना निहारे उसको क्या पड़ता था दिल को चैन
पहली प्रेम प्रतीक्षा में था तुमने क्या उपहार दिया
कैसे उसे बताया था कि तुमने उससे प्यार किया
कैसे जोड़ा था गठबंधन मुझ को भी बतला दो ना
पहला प्रेम किसे कहते हैं मुझ को भी समझा दो ना
