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Devaram Bishnoi

Children Stories

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Devaram Bishnoi

Children Stories

"बच्चों का कोना"

"बच्चों का कोना"

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आज कल हर सुबह अखबार पढ़ते हैं।

तो हर रोज़ बच्चों का कोना लेख अनवरत

रूप से आ रहा हैं।

कभी कभी बड़े बुजुर्गो को भी

यह लेख पढ़ने को मजबूर कर देता हैं।

क्योंकि आखिर हम सब भी पहले बच्चे ही थे।

यह लेख पढ़ने से बचपन कि यादें ताजा हो जाती हैं।

इसमें कविता काव्य पाठ कहानियां

दिल को छूने वाली होती हैं।


यकीनन बच्चों के बराबर बुजुर्ग भी इसे पढ़ते हैं।

क-से कबूतर ख-से खरगोश सिखने में बहुत आनन्द आता था।

छोटे छोटे सभी बच्चे एकसाथ ज़ोर ज़ोर से बोलते ‌थे।

वो भी क्या दिन थें हम हंसते खेलते खुश रहते थें।

बचपन सबसे निराला अच्छा होता हैं।

इसलिए हम सबको बच्चों को महत्व देना चाहिए।

उन्हें खुशी कैसे मिले अवसरों को तलाशना चाहिए।

छोटे-छोटे बच्चों को खुश रखने से ईश्वर खुश होता हैं।

क्योंकि छोटे बच्चे सरल स्वभाव ईश्वर रूपी होते हैं।



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