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डॉ. रंजना वर्मा

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डॉ. रंजना वर्मा

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बासन्ती परिवेश

बासन्ती परिवेश

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ऋतु ने करवट ली धरती ने

बदला अपना वेश ,

ली अंगड़ाई फूलों ने है

बासन्ती परिवेश ।


महक उठी मादक अमराई

मधुर सुहानी है ऋतु आयी ।।


खेतों में है सरसों फूली

बागों में कचनार ,

कलियाँ खोल रछी हैं पलकें

महका हरसिंगार ।


कलरव पड़ने लगा सुनायी ।

मधुर सुहानी है ऋतु आयी ।।


प्यास कंठ में भरी असीमित

रहा पपीहा टेर

आ भी जा घनश्याम पिया अब

मत कर इतनी देर ।


अब तो साँस साँस अकुलाई ।

मधुर सुहानी है ऋतु आयी ।।



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