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SARVESH KUMAR MARUT

Children Stories

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SARVESH KUMAR MARUT

Children Stories

बादल काले-काले आये

बादल काले-काले आये

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बादल काले-काले आये,

शोर मचाकर धूम मचायें।

आसमान है काला-पीला,

वर्ष-वर्ष के कर रहे गीला।

तनन-तनन से तान सुनायें,

मेंढ़क उछले व गान सुनायें।

मछली ख़ुद को लगी बचाने,

मोर जोर-जोर से चिल्लाने।

पत्ते पेड़ों से तब टकराएं,

टप-टप से वे बूँद गिरायें।

धरती हँसती औ मुस्काती,

वर्षा जल से प्यास बुझती।

सभी जगह हुआ पानी-पानी,

बच्चों ने अब बात न मानी।

जड़ औ चेतन हुआ मगन,

इन्द्रधनुष अब छुए गगन।

पीला-पीला सूरज निकला,

लोहे सा है पिघला-पिघला।

चार दिशाएँ लेती अंगड़ाई 

निशा को बाहों में भर लाईं।।


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