बाबूजी नेता बनूँगा
बाबूजी नेता बनूँगा
टीवी में देख कर नेताजी को बेटे ने कहा,
बाबूजी मैं नेता बनूँगा।
खड़े होकर ऐसे ही किसी बड़े स्टेज पर,
ये ढेर सारे वायदे करुँगा।
बाबूजी मैं नेता बनूँगा
बाबूजी ने कहा, बेटे क्यूँ ऐसा सोचते हो
अभी से क्यूँ इतना बड़ा ख्वाब देखते हो।
थोड़ी आमदनी में जो दिन गुजरते हैं
हर पल की तंगी के, मुझे दिन अखरते हैं।
उस पर ये सब कुछ भला कैसे मैं करुँगा
कुछ भी हो बाबूजी मैं तो नेता ही बनूँगा।
बाबूजी आप नादान हैं नेता बनना बहुत आसान है
जीतने भी हैं सारे चोर हैं फिर भी देखो क्या शान है।
देख करके केकड़े की टांग खिचाई
सब अकेले ही सीख लूँगा
बाबूजी मैं भी नेता बनूँगा।
ना बेटे ना ऐसा नही सोचते
बड़ों के बारे में ऐसा नहीं बोलते।
वो तो बड़े इंसान हैं देश की वो शान हैं
उनके पोल सरेआम नही खोलते।
अब जिद अपनी छोड़ो तुम्हे जिलेबी खरीद दूँगा
ना बाबूजी ना मैं तो नेता ही बनूँगा।
जलेबी की बात छोड़िए पकवान मैं खिलाऊँगा
सारे देश का माल अकेले बटोर लाऊँगा।
पब्लिक को दूँगा भाषण वो तो बेवकूफ है
चपटी सी गोल पापड़।
पब्लिक तालियाँ बजाएगी मैं देश बेच आऊँगा
बाबूजी मैं अब नेता ही बनूँगा।
खड़े होकर ऐसे ही किसी बड़े स्टेज पर,
ये ढेर सारे वायदे करुँगा
बाबूजी मैं नेता बनूँगा।