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Dharm Veer Raika

Children Stories Classics

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Dharm Veer Raika

Children Stories Classics

बाबुल...........।

बाबुल...........।

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हाथ में तलवार घोड़ी पर सवार वो लक्ष्मीबाई

पीछे बंधे बेटे की परवाह छोड़कर

अंग्रेजों के सामने कुछ ने गंवाई

उस घर की रौनक घूम जब बाबुल को कर दिया झकझोर,


आया जब नानी का सुख में गम का विदाई दौर,

मेरा बेटी होना किस बात का है एहसान,

दुनिया क्यों है मुझसे से परेशान ,

प्राचीन समय में बहती थी नदी सिंधु,


मैं उसी देश की हूं चाहे मुस्लिम हूं या हिंदू,

बेटी इंद्रधनुष की तरह 7 रंगों की होती है,

कभी मां, कभी बहन, कभी बेटी का स्वरूप,

कड़कती सर्दियों में होती सुहानी धूप,


जब पिता की आंखें हुई नम जब बेटी से लिया बहू का रूप।


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