अस्तित्व की सार्थकता
अस्तित्व की सार्थकता
प्रेम से जनित ये सृष्टि
प्रेममय है
इसकी सार्थकता को
प्रमाणित करने की क्रिया
एक युद्ध है
और कभी कभी जब
हम इसकी सार्थकता सिद्ध
कर रहे होते हैं
तो लगता है हम अग्निवत
परिवेश से गुजर रहे हैं
अग्नि परीक्षा भी कहा गया है इसे
ये सिलसिला है
चलते रहने का
चलता ही रहेगा
इसे सहजता से ग्रहण करना
उपयुक्त है
यह स्थित तब आती है
और आती भी रही है
जब अस्तित्व के प्रेममय
होने को चुनौती मिलती है
अब सीता की अग्निपरीक्षा को
देख सकते हैं
अग्नि परीक्षा में सफल होने के बावजूद
दुनिया ने उसे किस नजर से देखा है
जैसे कोई अविश्वनीय बात है ये
सीता अग्नि परीक्षा ।
ये सिलसिला चलता रहेगा
हम प्रमाणित कर देंगे
अपने जीवन युद्ध में कि
सृष्टि प्रेममय है
विवाद चलते रहेंगे।
