असली महाभारत का युद्ध
असली महाभारत का युद्ध
महाभारत के काल में करता हर कोई विवाद
नहीं रह गया रिश्तों में मधुरता सम्पन्न संवाद
कौरव बने सभी लोग पाण्डव नजर ना आता
मन रूपी मैदान सबका कुरुक्षेत्र नजर आता
स्वार्थ जागा सबके अन्दर हिंसक हुए विचार
सबको तंग करते जाते मिलकर पांच विकार
हर कोई एक दूजे पर अपना आदेश चलाता
परमात्मा की आज्ञा को कोई नहीं अपनाता
पहचान नहीं किसी को यहाँ शत्रु कौन हमारे
अपने ही सम्बन्धियों से देखो लड़ते हम सारे
शत्रु नहीं हमारा दुनिया में कोई भी रिश्तेदार
इन रिश्तेदारों से ही सुन्दर बनता घर संसार
पहचान करो शत्रुओं की आखिर वो है कौन
अन्तर्मन को देखो धारण करके मन का मौन
पांच विकारों ने मिलकर अपना डेरा जमाया
इन्हीं विकारों ने हम सबको बारम्बार सताया
महाभारत काल में लड़ना है पांच विकारों से
हर सूरत में प्यार निभाना अपने रिश्तेदारों से
खाओ कसम आज पांचों विकारों को हराएंगे
महाभारत के युद्ध में खुद को विजयी बनाएंगे!