अर्जुन कहता है श्री कृष्ण से
अर्जुन कहता है श्री कृष्ण से
अर्जुन कहता है श्री कृष्ण से,
कैसे करूं मैं हनन भगवान?
मेरे ही परिवार के लोगों का
यह कैसी परीक्षा है, मेरी आज
कृष्णा कैसे तुम्हें बतलाऊं...!!
जिस के अंक में पला हूं,
जिन्होंने विद्या सिखलाई,
अनुग्रह से भरा रहता मस्तक
वो वंदनीय है मेरे,लड़कर मिले सुख कैसे,
कृष्णा कैसे तुम्हें बतलाऊं..!!
सगे संबंधी भाईबंद का वध
कुल का नाश ही तो होगा,
कुल घातकी दोष कैसे ,ले लूँ मैं कृष्णा
अनुचित कर्म करके,राजपाट क्या करूँ?
कुलक्षय से नाश होते है,सभी के कुल धर्म
नाश होगा धर्म का कभी,
तो स्त्रियों के साथ भी होगा दुष्कर्म
माथे लेकर पाप का,मैं भागी क्यों बनूँ?
नहीं बनना मुझे राजा,मारकर स्वजनों को,
शस्त्र का त्याग और मृत्यु का स्वागत,
कहता है मेरा मन,यही बात मैं अपनाउं
नहीं चाहिए राजपाट, इन सबका लोभ ना मुझको
कृष्णा कैसे तुम्हें बतलाऊं..!
