अपराध
अपराध
1 min
158
हीन भावना
अंदर ही अंदर
कचोटती तन - मन
न चैन न नींद, तड़पता मन
अपराध बोध बढ़ता प्रति- दिन
अपने मन को समझाने में संलग्न..
चाह कर भी न उभर पाए मन
प्रायश्चित को तड़पे हर पल
गर समझ सका स्वयं
तो सुलझ सके
मन का बोध
अपराध