अपनो के पास,अपनो से दूर
अपनो के पास,अपनो से दूर
मिलते है लोग, जुड़ती है जिंदगियां
खिलते है फूल, पनपती है कलियाँ,
कौन किसका, कब कहाँ, क्या पता
जहाँ मिले दिल, जहाँ मिली सोच
वही एक परिवार बसा।।
परिवार के प्रति सबकी अपनी परिभाषा
जिसका जैसा लगाव, उसका वैसा परिवार बसा
समय-समय की बात है, समय-समय के साथ है,
कही पैसे की बुनियाद में टिका परिवार,
कही प्यार की नींव पे टिका परिवार।।
कही पैसे के पीछे लड़ता परिवार,
कही बच्चों और बड़ो के सम्मान में झुकता परिवार,
कही एक -दूसरें के लिये जान छिड़कता परिवार,
कही एक-दूसरें की जान का प्यासा परिवार।।
कही अपने-अपने में खोया परिवार
कही अपनों संग दिन-रात मौज उड़ाता परिवार,
मुझे तो बस इतना पता है
जहाँ आपसी प्यार है, रिश्तों में सम्मान
है
जहाँ एक दूसरें के बिना दिल उदास है
जहाँ पैसा कम हो या ज्यादा हो,
पर आपसी समझदारी का वादा है
जहाँ मिल कर चलने की इच्छा है
जहाँ प्यार का राग है,
जहाँ एक दूसरें के प्रति वफादारी का किस्सा है,
जहाँ लगाव की नदिया बहती है
उफान भी आते है पर,
अपने सबके हाथ जुड़ कर बांध बनाते है,
एक-दूसरें की जिन्दगी को स्वावलंबी बनाते है।।
वही एक परिवार है
पर आजकल स्वार्थवश डूबा हर इन्सान है,
और छोड़ रहा अपना बसाया परिवार है
इस बात से जान कर भी अन्जाना इन्सान
ढूंढ रहा बेगानी गलियों में अपना नया घर-संसार है।।
सब अपनी-अपनी नजरों में ठीक है
इसलिए कुछ भी कहना बेकार है,
आज कल अपनों के साथ अपनो के बीच में
सबका अपना-अपना बसा परिवार है।।