अपनी जिम्मेदारियां निभायें
अपनी जिम्मेदारियां निभायें
आओ अपनी जिम्मेदारियां निभायें
जटिल को सरल बनायें,
और सरल को जटिल होने से बचायें।
आओ अपनी जिम्मेदारियां निभायें।
जानें, इतने भर से हो जाती हैं
जटिलतायें सरल
और सरलता बच जाती है होने से जटिल।
कुछ हम करें,कुछ तुम करो
जैसे खेलते थे बचपन मे लुका छिपी
अब ढूंढने के लिये क्यों छिपें?
क्यों न छिपा हुआ ही ढूंढें
आओ बचपन के लिये नया खेल बनायें,
आओ अपनी जिम्मेदारियां निभायें।
क्यों चलें हमेशा किसी के बताये रास्ते पर?
कभी अपने लिए भी खुद रास्ता बनाएं,
कभी रख दें उठे हुए पांवों के ऊपर
अपना एक पांव,दूसरा जमीन पर धरें।
क्यों चलें हमेशा किसी के विचारों के साथ साथ?
कभी अपने ही अनुभव को बना लें विचार
क्यों निभाएँ अब तक के बने हुये सम्बन्ध ?
कभी अपने सम्बन्धों पर पुनर्विचार करें।
आओ अपनी जिम्मेदारियां निभायें।
कभी एक कदम चलें अपने ही दुनिया में
अपने ही अनुभव के विचारों के संग।
आओ अपनी जिम्मेदारियां निभायें।
