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Pushpa Srivastava

Others

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Pushpa Srivastava

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अपनी इच्छाएं

अपनी इच्छाएं

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पहले कभी सोचा नहीं कि अपने लिए भी कभी कुछ करूँ,

सोचती हूँ कि अपने हिस्से की जिंदगी अब कुछ तो जी लूँ

समय की भागमभाग में ,

अपने लिए कभी समय ही नहीं मिला

दिया ही दिया जीवन भर सभी को

अपने लिए बहुत कम मिला।


सब जिम्मेदारियों से मुक्त होकर ,

अपने लिए भी जीना चाहती हूँ

खुली हवा में सांस लेकर ,

अपने लिए भी कुछ करना चाहती हूँ

बादलों की बाहें थामे मैं अपना ,

नया आकाश चाहती हूँ

उम्मीदों के रंगों से खूबसूरत इंद्रधनुष रचना चाहती हूँ।


सूरज की पहली किरण के साथ मैं दौड़ना चाहती हूँ,

योगा व जिम में पसीने बहाकर फिट रहना चाहती हूँ,

नई- नई तकनीक को शौक से सीखना चाहती हूँ,

अपनी हिम्मत को मैं स्वयं परखना चाहती हूँ।


अपनी अधूरी इच्छाओं में फिर से रंग भरना चाहती हूँ,

पसंदीदा क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ना चाहती हूँ,

फिसलते वक्त को मुट्ठी में कसकर पकड़ना चाहती हूँ,

ऊपर जाने से पहले अपनी सब इच्छाएं पूरी करना चाहती हूँ।


पर नई पीढ़ी अपने को बहुत समझदार समझती है,

हम बुजुर्गों की इच्छाओं को बुढ़ापे की सनक समझती है,

साथ रहकर केवल अपनी जरूरतें पूरी करते हैं,

वरना हम बुजुर्गों को अपने कंधे का बोझ समझते हैं,

इसलिए जी लेना चाहती हूँ अब शेष जिंदगी उनके लिए,

जो रह गई थी सब इच्छाएं अधूरी कभी मेरे लिए।


नहीं रखना चाहती अफसोस पूरा ना होने का कभी उनके लिए,

इसलिए मैं अब जीना चाहती हूँ सिर्फ अपनी इच्छाओं के लिए।



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