अपना स्थान
अपना स्थान
कि अपनो के सम्मान में,
अपनो के स्वाभिमान में,
हम हर पन्ना अमर कर दे,
अपने लिखते हुए अभियान में,
कि भूल तुम्हारी होगी अगर,
जो कम आका तुमने हमें,
कि हर जीत फतह होगी अगर,
जो अधिक रोड़ा डाला तुमने ,
कि लगती मासूम सी हूं क्या ,
चिंगारी दिखती नहीं तुम्हें,
क्या मेरे लिखते हुए विचार में ,
कि बहुत सहे दुःख हमने भी,
ये समय जरा बदलेगा,
तू इंतजार कर अभी थोड़ा,
ये हर दुःख, सुख में बदलेगा,
कि टूटी हुई दीवारों से ,
हम भी आशियाना बनाएगे,
कि ये दौर क्या होता है,
रुको जरा ये हम स्पर्श ही कराएंगे
कि रौंदे गए हर मंजर को हम,
उखाड़ के दिखाएंगे,
ये त्रुटि तुम्हारी भी नही,
ये तो सिर्फ संदेश ही बताएंगे,
कि माना लाख रोजगार दिए तुमने,
हम बेरोजगारी दौर में भी अपनी जगह बनाएंगे ।