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Jayantee Khare

Others

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Jayantee Khare

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अपना मिलन

अपना मिलन

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मैं सब कहा करती हूँ

तुम मौन रहते हो

मैं उलाहना करती हूँ

तुम मुस्कुराते रहते हो


मैं आसक्त हूँ

तुम विरक्त हो

मुझ में उद्यम है

तुम में संयम है


मुझ में दृढ़ संकल्प है

तुम्हारे पास कई विकल्प हैं

मैं सदा विकल हूँ

तुम अविचल हो


मैं अधीर हूँ

तुम धीर गंभीर हो


मैं स्वप्न बुनती हूँ

तुम धरातल पर हो

मैं मनुहार करती हैं

तुम उदासीन हो


मैं निर्बाध नदी हूँ

तुम शांत सागर हो

मैं प्रेमरत हूँ

तुम मित्रवत हो


कुछ ऐसा यह संबंध है

जिसका न कोई अनुबंध है

एकपक्षीय उपेक्षित

किन्तु बहुत कुछ अपेक्षित


मैं भाव लोक में जीती हूँ

तुम असल जगत में रहते हो

दोनों की प्रकृति विपरीत है

किंतु यह मिलन कालातीत है


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