अंतर समझ में आ गया..... !
अंतर समझ में आ गया..... !
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कभी हमसे
बात किये बिना,
उनकी शाम
नहीं होती थी....
ये गलिया
बिन उनके
बदनाम नहीं
होती थी....
अब तो दूरिया
इतनी बढ़
गई,
कि पल भर
भी दुभर
हो गया,
मगर
लगता हैं, उनके
दिल को
कोई भा गया,
अंतर समझ में आ गया..... !
आँखों के आंसू
पानी समझ में
आने लगे,
जो कभी मोती
हुआ करते
थे....
हर वो किस्से
खुलेआम
होने लगे,
जो कभी
छुप -छुप कर
कहने से भी
डरते थे,
वो बेवफा मुझे
आईना दिखा गया,
सच में आज
मुझे,
अंतर समझ में आ गया..... !
किसी से
दिल ना लगाना यारों,
ये मैं नहीं
कहूंगा,
उम्मीद मत लगाना
ये जरूर
कहूंगा,
क्योंकि ज़ब
उम्मीदें टूटती हैं,
तो तकलीफ
बहुत होती
हैं,
तन्हाई, ख़ामोशी, मायूसी
घर बना लेती हैं
हममे,
आज मुझे भी
ये घर बनाना
आ गया,
सच में
आज
मुझे भी...
अंतर समझ में आ गया..... !