अनकहे रिश्ते
अनकहे रिश्ते
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रिश्ते
बनते- बिगड़ते रहते है।
लेकिन
दिल तक
कुछ रिश्ते ही पहुंच पाते है।
जबकि कुछ
अनकहे रिश्ते
रूह की गहराई पा जाते है।
रिश्ते दिखावटों से
तोले- मोले जाते है।
लेकिन कुछ
कीमतों को
छू भी नहीं पाते है।
जबकि कुछ
अनकहे रिश्ते
अनमोल हो जाते है।
रिश्ते जरूरत के
हिसाब से रखे जाते है।
लेकिन कुछ
बिना जरूरत के भी
जरूरत बन जाते है।
जबकि कुछ
अनकहे रिश्ते
रूह की जरूरत बन जाते है।
