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Sukanta Nayak

Others

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Sukanta Nayak

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अनाथ

अनाथ

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रात की अँधेरीयों में चंदा मामा 

और टिम टिम करते तारे

क्या कहना क्या है ये नज़ारे।


पलको में हल्की हल्की नींद भर आती

ठण्डी ठण्डी हवाएँ गुदगुदाती

सो जा मेरे राजा बेटा 

दादी के लोरियों में रात कट जाती।


हर नटखट शैतानी को आंख मूंद माफ कर देना

हर वो चाहत को बिना कहे पूरा करना

चोट लग जाये तो आ के बाहों मे भरना

बेवजह इतना प्यार कोई करे तो वो है माता पिता

हर मुश्किल जो देते साथ वो है माता पिता।


वो खुशनसीब हैं 

जिनके पास है परिबार

जो कोई है अनाथ 

क्या वो खुद हैं अपने हालात के जिम्मेदार।

पल पल तरसते अपनो का प्यार

इंसान बनने की दौड़ में अक्सर जाते हैं हार।


कोई सीखते हैं अपनो से अपनो का हुनर

कोई आग में तपके बनातें हैं अपना हुनर।

वो खास हैं जिनके परिवार है

हर मौके में जिसके पास माँ बाप है

क्या किसी को उनकी ग़मों का अहसास है

जो अकेला, ना कोई उनके पास है।


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