अन-कहे अल्फ़ाज़
अन-कहे अल्फ़ाज़
1 min
215
कभी भी जो खुले नहीं...
जिनको ना मैं जान सका,
अन-जाने से कुछ राज़ थे !
कुछ बदले से वो तेवर
और नयी-नयी अदायें,
अलग ही कुछ अंदाज़ थे !
गुफ़्तुगू पहले सी थी,
जिसमें लेकिन आज-कल
चंद अन-कहे अल्फ़ाज़ थे !
जो कभी ना कहे गये...
जताये भी न गये कभी,
शायद कुछ ए'तिराज़ थे !