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मोहनजीत कुकरेजा (eMKay)

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मोहनजीत कुकरेजा (eMKay)

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अन-कहे अल्फ़ाज़

अन-कहे अल्फ़ाज़

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कभी भी जो खुले नहीं...

जिनको ना मैं जान सका, 

अन-जाने से कुछ राज़ थे ! 

कुछ बदले से वो तेवर 

और नयी-नयी अदायें, 

अलग ही कुछ अंदाज़ थे !

गुफ़्तुगू पहले सी थी,

जिसमें लेकिन आज-कल 

चंद अन-कहे अल्फ़ाज़ थे !

जो कभी ना कहे गये... 

जताये भी न गये कभी, 

शायद कुछ ए'तिराज़ थे !







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