ऐसे नहीं तोड़ते पत्ते
ऐसे नहीं तोड़ते पत्ते
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मैंने उस दिन भी
कुछ सोचते हुए
अपनी आदतवश
गमले में लगा एक पत्ता तोड़ा
पर तभी किसी ने आकर
मेरे मन को झकझोरा
कहा ,ऐसे नहीं तोड़ते पत्ते।
ये पत्ते,
इनमें भी तो जीवन है
दर्द है, प्रेम है ,अपनापन है
बोल नहीं सकते
पर अनुभव तो करते हैं,
अपने कुटुम्ब का
वियोग भी सहन करते हैं,
ये सब सवाल करते से मौन पत्ते
कि ऐसे नहीं तोड़ते पत्ते।
तबसे मैंने सोच लिया है
पत्ते न तोड़ ने का
प्रण लिया है,
ताकि फिर से न
पूछ बैठें ये पत्ते,
कि ऐसे नहीं तोड़ते पत्ते
ऐसे नहीं तोड़ते पत्ते