अहंकारी राजा का घमंड
अहंकारी राजा का घमंड
एक था राजा शक्ति अपार उसके हाथों में
दिन -रात वो प्रजा पर करता अत्याचार था
दुखों का सागर भरा हर कोई लाचार था
अपनी शक्तियों का गलत प्रयोग करता
प्रजा का हर एक व्यक्ति उससे डरता था
जो चाहे वो राजा सब कुछ कर सकता था
जब तब अपना उल्लू सीधा करने को वह
जाने कितने ही छल कपट भी करता था
न भोजन मिलता प्रजा को न मिलता न्याय
हर पल होता वहाँ बेजुबानों पर अन्याय था
इतनी दहशत पाप बुराई उसने फैलाई थी
त्राहि -त्राहि मच गई जनता बहुत घबराई थी
सच्चाई की राह चलकर कौन यहाँ आयेगा
अब यहाँ आकर निर्बल जनता को बचाएगा
सबने मिलकर फिर ईश्वर से गुहार लगाई थी
आया एक सदाचारी जिसने समझी दुविधा सारी
कारनामे उसके खूब नाम तेनाली राम था
मिटा दिया उसने घमंडी राजा का अस्तित्व
अहंकार हो गया घमंडी राजा का चकनाचूर
बचाया सारी जनता को उसके चंगुल से
सबके ऊपर तेनाली राम ने बहुत उपकार किया
तब जनता ने राज्य तेनाली राम को सौंप दिया।
