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sandeeep kajale

Others

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sandeeep kajale

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अगर तुम ना होते

अगर तुम ना होते

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ज़िंदगी उलझनों में रहती

हर दफा एक कहानी कहती

तुम्हारी याद में खुद को जोड़ते।


चंद मुलाकात होती तुमसे

रूबरू होते तुम हमसे

अकेले में यूं तन्हा ना रोते।


कुछ पल सिरहाने लिये

अब तुम बिन कैसे जियें

नींद भरी आखों से नहीं सोते।


पलकें बुनती एक नया सपना

साथ हो तुम जैसा कोई अपना

हर घडी़ तुम्हें सामने ना पाते।


जुदा न होंगे तुम्हें फिर पाकर

दूर ना जायेंगे तुम्हारे ही होकर

बेखयाली में ही यूं खोते।


अगर तुम ना होते

अगर तुम ना होते।



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