अधूरे ख़्वाब मेरे
अधूरे ख़्वाब मेरे

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शायद अब हों कागज़ पर पूरे
जिंदगी में कब किसी के ख़्वाब
सब पूरे होते है
कभी उम्र बढ़ जाती है
कभी तक़दीर साथ नहीं देती
अधूरे ख़्वाबों को फिर भी मैंने
पलको में सहेज रखा है
कोशिश करूंगी,
उनको पूरा करने की
जिंदगी में, नहीं तो
कागज़ों पर ही सही
ले हाथ में इक कोरी किताब
साथ में एक पेंसिल नई
शुरू करूंगी कवायद
अधूरे ख़्वाबों को मुकम्मल करने की