विधाता के' कदमों में' सर ये पड़ा है। विधाता के' कदमों में' सर ये पड़ा है।
गिल्ली बनकर वोट का डण्डा नचायेगा नेता को समझा जन-जन ! गिल्ली बनकर वोट का डण्डा नचायेगा नेता को समझा जन-जन !
मेरे पास तू आ जा मेरे दिल दे मेहरमां, मेरे दिल दे मेहरमां मेरे पास तू आ जा मेरे दिल दे मेहरमां, मेरे दिल दे मेहरमां
प्रेम हृदय में तभी उपजता, जब मन-रार मिटाये हों।। प्रेम हृदय में तभी उपजता, जब मन-रार मिटाये हों।।