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S.Dayal Singh

Others

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S.Dayal Singh

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**गुफ्तगू**

**गुफ्तगू**

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**गुफ्तगू**

पक्षियों का एक सुंदर जोड़ा, 

आँख में आँसू भर रहा था।

रह-रह कर आपस में बातें, 

बीत गये की कर रहा था।

चोंच में भर-भर के दाना,

हम कभी लाया करते थे।

नीड़ में बैठे बच्चों के हम,

मुंह में पाया करते थे। 

वर्षा आंधी धूप में बच्चे,

जब विचलित हो जाते थे। 

बच्चों को आराम मिले,  

हम अपने पंख फैलाते थे। 

बड़े हो जाएंगे जब बच्चे,

अपने पंख फैलाएंगे।

हमको भी सुख चैन मिलेगा,

तब अच्छे दिन आएंगे। 

सुनकर वृद्धाश्रम की बातें,

बच्चों से वो डर रहा था।

ईक-दूजे को देख वह जोड़ा,

अंदरो-अंदर मर रहा था।

--एस.दयाल सिंह--



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