अभी अभी देखा है
अभी अभी देखा है
अभी अभी देखा है तुम्हें
अपने करीब से गुजरते हुये
यादों की गठरी
उतारते हुये
और उसे समय के प्रवाह में
विसर्जित करते हुये।
अभी अभी देखा है तुम्हें
सदियों का वायदा
निभाते हुये
नये रूप में सजते हुये
हम पर अपना प्रेम
लुटाते हुये
हमसे मिलकर मुस्कराते हुये
डर को भी डरते हुये
और डर के सम्मोहन को टूटते हुये
यकीन दिलाते हुये कि
आदमी के पास
सवाल नहीं होने चाहिये
समुन्दर वो है जो उत्तरों का।
अभी अभी मैंने
तुम्हें,धन्यवाद देते हुए पाया है
खुद को,
और ऐसा करने का कोई
इरादा तो नहीं था हमारा
पर धन्यवाद फूट पड़ा
अंतस्थल से
कितना अच्छा लग रहा है
तुम्हें मनुष्य बनते हुए
और मनुष्यता से आवेशित
होते हुए देखना।
