अब लड़ना है
अब लड़ना है
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ज़िन्दगी झुलसती ना रहे
किसी का अन्याय हम ना सहें।
बुझ जाये ये अंधेरी रात
कहने दो हमे हमारी बात।
तोड़ देनी है सारी जंजीरें
फेंक देनी है धोके की खंजीरें।
बदलेंगे सब, रहेंगे साथ
नहीं लौटना है खाली हाथ।
हम करेंगे अपना इन्साफ
दुश्मन नहीं होंगे माफ़।
कोई ना चेहरा, हमारा बिगाड़े
ना लहराता आँचल फाड़े।
रहे हमारी गरिमा सलामत
वरना, हम भी करेंगे बगावत।
देखनी है एक सुबह नई
सपने भरे हो इनमें कई।
आगे एक कदम बढ़ना है
खुद के लिए हमे, अब लड़ना है।
अब लड़ना है।