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आज़ादी

आज़ादी

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तुमको यह आज़ादी मुबारक हो

हमे तो तेरे प्यार ने गुलाम बना रखा है


कहने को हम आज़ाद है

पर तेरे जुदाई के डर ने पिंजरे में रोक

रखा है


ख़्वाब तो आज भी बहुत है

पर पता ना चला कब पर काट लिए गए


दो वक़्त की रोटी सुखी सब्जी का स्वाद

इतना है

की ना पूछो आज़ादी कहीं बेसुध सी खड़ी

हँस रही है


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