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Rashmi Singhal

Children Stories

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Rashmi Singhal

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आया रे ! दिन रविवार का

आया रे ! दिन रविवार का

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आया रे ! दिन रविवार का

     हफ्ते भर के इंतजार का,

     आज नहीं है चिंता कोई,है

     दिन मस्ती के व्यवहार का,

     

    आज स्कूल का नहीं बुखार,

    न ही टीचर की है फटकार,

    न स्कूल-बैग का ढोना बोझा

    न बोरिंग टिफ़िन का अत्याचार,


    सिर पर छुट्टी का पहनें ताज,

    करते हम खुद पर ही राज

    बनते आज के हम ही राजा

    रोक-टोक नहीं कोई आज,

     

    चाहे गली हो या मोहल्ला,

    मचाते हैं हम हल्ला-गुल्ला,

    पाबंदी नहीं समय की कोई

    रहते हैं हम खुल्लम-खुल्ला,


    नहीं हमें है कोई फिकर,

    नहीं हमें है किसी का डर

    करते हम भर-भर शैतानी

    हम छोडें न कोई कसर,


    पापा के संग घूमने जाते,

    मौज-मस्ती में दिन बिताते,

    होता देख खत्म रविवार

    होकर हम मायूस सो जाते,

 

    करते फिर से हम इंतजार,

    छुट्टी आए फिर इकबार

    बीते जल्दी-जल्दी हफ्ता

    आ जाए फिर से रविवार।


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