आया रे ! दिन रविवार का
आया रे ! दिन रविवार का
आया रे ! दिन रविवार का
हफ्ते भर के इंतजार का,
आज नहीं है चिंता कोई,है
दिन मस्ती के व्यवहार का,
आज स्कूल का नहीं बुखार,
न ही टीचर की है फटकार,
न स्कूल-बैग का ढोना बोझा
न बोरिंग टिफ़िन का अत्याचार,
सिर पर छुट्टी का पहनें ताज,
करते हम खुद पर ही राज
बनते आज के हम ही राजा
रोक-टोक नहीं कोई आज,
चाहे गली हो या मोहल्ला,
मचाते हैं हम हल्ला-गुल्ला,
पाबंदी नहीं समय की कोई
रहते हैं हम खुल्लम-खुल्ला,
नहीं हमें है कोई फिकर,
नहीं हमें है किसी का डर
करते हम भर-भर शैतानी
हम छोडें न कोई कसर,
पापा के संग घूमने जाते,
मौज-मस्ती में दिन बिताते,
होता देख खत्म रविवार
होकर हम मायूस सो जाते,
करते फिर से हम इंतजार,
छुट्टी आए फिर इकबार
बीते जल्दी-जल्दी हफ्ता
आ जाए फिर से रविवार।
