आत्मा
आत्मा
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एक बूँद उतरी थी,
पल भर को एक सीप में एक दिन...
संजो लिया उस बूँद को,
उस सीप ने तत्क्षण...
पलती रही हर पल,
वो बूँद उस सीप में...
निखर गयी बूँद पल में,
मोती बन उस दीप में...
आत्मा जिस पल,
अराध्य से मिल जाती है...
शोक जगत को छोड़ उस पल,
परमात्मा हो जाती है.
