आपका अपना घर
आपका अपना घर
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इस घर से कभी हम अगर जायेंगे
कर्ज़ आपका अदा हम कर जायेंगे
इंतेज़ार मेरा किसी को हो ना हो
लौटकर ना कभी हम मगर आयेंगे
एक ही रोज़ में आज कल हो जायेगा
जब सदा को बदन अपना सौ जायेगा
आँख रोयेगी फिर दिल भर आयेंगे
याद फिर जो कभी हम अगर आयेंगे
हम ना होंगे तो क्या सब चलेगा मगर
फूलेगा फलेगा आपका घर
होगा कुछ कम नही ,कमी होगी बस यही
किसी भी जगह ना हम नज़र आयेंगे
वक्त की धूल जब बढ़ती बढ़ जायेगी
तस्वीर मेरी भी धुँधली पड़ जायेगी
भूल जायेंगे सब ये है दुनिया में कब
सोचकर वो सभी गुज़र जायेंगे
इस घर से कभी हम अगर जायेंगे
कर्ज़ आपका अदा हम कर जायेंगे
