आओ माँ वीणा वादिनी
आओ माँ वीणा वादिनी
बसंत पंचमी है करें माँ स्वरस्वती का ध्यान
खिल जाए कमल भांति सब के मन के उद्यान
तेरा जन्मदिन है प्रफुल्लित, हर्षित, प्रेम भरा
मिटा माँ क्लेश सारे, दूर कर हर अंधियारा
आया है बसंत फूलों की बारात सजाये
खिले प्रेम के सुमन, जलते रहे आशा के दिए
किरणों में छाई है अब लाली व तरूणाई
ज्ञान के द्वार खोल के दे आशीष स्वरस्वती माई
अब का पतझड़ है भीगा हुआ असीम भावनाओं से
हे माँ गूंजे सदा नाम तेरा, मुख्ति पाएं अब पापों से
कर दे ज्ञान की वर्षा धुन्दला है मन का आईना
मिटा अज्ञान के बादल, वश में रहे संयम अपना
आओ माँ वीणा वादिनी, मन में बसो सबके हे मात
सबको लक्ष्य यश मिले, खुशियों से भरी हो हर प्रभात
नमन इस पावन धरती को, संस्कृति है भरपूर
मिले ज्ञान त्योहारों से और घूंजते रहे वीणा के सुर।
