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bhawana Barthwal

Others

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आंसुओं का हक

आंसुओं का हक

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बच्चा लड़का लड़की नहीं वो सिर्फ बच्चा होता है

दहाड़े मार के रोता है तब कोई नहीं कहता। 

ज्यों ज्यों बचपन पीछे छूटा

हर बात पे ना जाने क्यों कहते तू लड़का है लड़के रोया नहीं करते।

लड़के बहादुर होते हैं।

पर दिल तो एक समान होता स्त्री पुरुष में।

दर्द का सैलाब पुरुष में भी होता है।


पर हर बार उसे बहादुरी का तमका हम क्यों पहने पर मजबूर कर देते हैं हम।


रोना कमजोरी की निशानी नहीं होती।

भावुकता की निशानी होती है।

आंसुओं पे पूरा हक है पुरुषों का


हर बार मां बेटी के आँसुओं को भाप जाती है ।

पर बेटे के आंखों में कम ही झांक पाती है।

बेटे को फर्ज के आगे अपने भावनाओं को

हर बार नजर अंदाज करना पड़ता है।

हर मां से निवेदन की बेटों के आंखों में भी

कभी झांक लिया करो जैसे बचपन में देख लेती थी।

उसकी मायूसी उसके आँसू।


पुरुषों के रोने से उनका त्याग बहादुरी कभी कम नहीं होती 

और भी बढ़ जाती है।



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