STORYMIRROR

Kamal Purohit

Others

2  

Kamal Purohit

Others

आजकल

आजकल

1 min
162

देवदासों सी पीने लगे आज कल।

ज़ख्म दिल के यूँ सीने लगे आजकल।


देख साकी तेरे रिन्द शाम ओ सहर।

मयकदे में ही जीने लगे आजकल।


एक पल में ही मिल जाती थी जो खुशी।

पाने में अब महीने लगे आजकल।


पैरहन जिंदगी की फटी जा रही।

प्यार से उसको सीने लगे आजकल।


ज़ीस्त अनमोल थी और अनमोल है।

मौत में आबगीने लगे आजकल।




ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍