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Brajesh Bharti

Others

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Brajesh Bharti

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आज़ादी

आज़ादी

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हम घर पर खुशियां माना रहे हैं,

और वहां सरहदों पे वो गोलियां खा रहे हैं

हमारे वतन पर कोई आंच ना आए,

इसके लिए वो अपनी ज़िन्दगी कुर्बान कर रहे हैं


हम यहां घरों मे एक दूसरे से लड़ रहे हैं ,

और वहां वो हिन्दुस्तान को बचाने मे लगे हुए हैं

ऊंची ऊंची हिम सिल्लियों के बीच,

भारत मां के बेटे होने का फर्ज़ निभा रहे हैं।


हम यहां नए कपड़ों मे पटाखे जला रहे हैं,

और वो हमारे लिए गोलियां चला रहे हैं

सारी खुशियों को छोड़कर,

हमें हिन्दुस्तानी होने का एहसास दिला रहे हैं।


क्या कभी हमने भी उनके बारे मे सोचा है?

उनकी खुशियों के लिए हमने अपनी लड़ाई रोकी है?

ना चाहते हुए भी वो हमारे भाई इतना कर रहे है,

और हम अब भी घरों में बैठे सबकी कमियां निकाल रहे हैं।


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