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Isha Kathuria

Others

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Isha Kathuria

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आज का युग, अलग रहने में सुख

आज का युग, अलग रहने में सुख

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जो सुखों की सौगात लेकर आए

वह परिवार

जो दुखो में भी साथ निभाए

वह परिवार

जो कठिनाइयों में भी छोड़कर ना जाए

वह परिवार

और जो दुनिया के ठुकराने पर भी प्यार जताए

वह परिवार

पर आज का परिवार इतना अलग क्यों है यार

क्यों नहीं है पापा और चाचू के बीच वो प्यार?

दादा दादी को क्यों देखने जाते बच्चे हफ्ते में एक बार

और साथ रहना तो दूर 

अपनों ने ही खड़ी कर दी है नफरत की दीवार

सास बहू के बीच हर रोज़ नई तकरार

अब क्या भाई बहन का भी शुद्ध नहीं प्यार?

तू कहाँ आ गय

ा भागते भागते ऐ इंसान

परिवार भले ही छूट जाए, पर पैसों में अटकी तेरी जान

आज अगर मम्मी पापा ही रहे साथ

तो वह ही कहलाता संयुक्त परिवार

क्योंकि ताऊ ताई के अपने ठाठ

वो क्यों रहेंगे सबके साथ?

दादू दादी घर पर बन जाए बोझ

तो उनके लिए होती वृद्धाश्रम की खोज

अरे क्यों लें हम साथ रहने की सिरदर्दी

रिश्ता निभाने के नाम पर हर सदस्य ने हद कर दी

वाह रे बंदे तेरा परिवार

क्यों खत्म इस शब्द का सार

इस दुनिया को कर रहा अशांति के लिए तैयार

क्योंकि परिवार के टूटने में तेरी ही हार ।


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