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Mahendra Kumar Pradhan

Others

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Mahendra Kumar Pradhan

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आज का अमीर कल का फकीर

आज का अमीर कल का फकीर

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आज मेरी बारी है

कल तेरी बारी है ।

दर्द जो भारी हो तो

जीवन भारी है ।


आजीवन न सुख मिलता है

न केवल दुख मिलता है ।

आज मुस्कान नसीब हुआ तो

कल अश्क छलकता है ।


मैं तुझ पर उलटा हूं ,

तू मुझ पर उलटा है ।

बस दो घड़ी में वक्त ने

सबको पलटा है ।


जो आज का अमीर है

कल का फकीर होगा

होगा तो वही जैसा

माथे का लकीर होगा ।



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