एक ग़ज़ल...। एक ग़ज़ल...।
ज्यों ज्यों एनीवर्सरी का दिन निकट आता है पत्नी होती पुलकित और पति घबराता है ज्यों ज्यों एनीवर्सरी का दिन निकट आता है पत्नी होती पुलकित और पति घबराता है
जिसे तुम फरेपान कहती हो उसमें से आती भीमी भीमी जलने की ख़ुशबू। जिसे तुम फरेपान कहती हो उसमें से आती भीमी भीमी जलने की ख़ुशबू।
इम्तेहान लेती है ज़िंदगी हर मोड़ पर, कुछ मोड़ होते है जो बस गुज़र जाते हैं. इम्तेहान लेती है ज़िंदगी हर मोड़ पर, कुछ मोड़ होते है जो बस गुज़र जाते हैं.