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Jyoti Astunkar

Others

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Jyoti Astunkar

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ज़िंदगी का इम्तेहान

ज़िंदगी का इम्तेहान

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इम्तेहान लेती है ज़िंदगी हर मोड़ पर,

कुछ मोड़ होते है जो बस गुज़र जाते हैं,

कुछ होते है जो जरा रुककर चले जाते हैं,

और कुछ एक बोझ बनकर रह जाते हैं,


गुज़ारना तो उस वक्त को भी होता है,

गुज़रना तो उस मोड़ से भी होता है,

सदियों से चलती घड़ी की सुईयां भी कभी,

बेवक्त अपनी शक्सियत भूल जाया करतीं हैं,


सालों से टिक टिक करती ये सुईयां,

इस मोड़ पर रूकने को तुल जाती हैं,

कभी न थकने वाली वो सुईयां,

रुकी हुई सी आज नज़र आती हैं,


दिल मजबूर और दिमाग समझदार होता है,

दोनों के तालमेल का एक प्यारा सा अंदाज़ होता है,

मजबूर दिल रोता है, की जानता है वो सब कुछ,

समझदार दिमाग नही चाहता समझना अब कुछ,


हालातों को बदलना हमारे हाथों में नही,

कश्मकश दिलो दिमाग की सुलझाना भी बस में नही,

ज़िंदगी का बड़ा इम्तेहान है यही, 

गुज़र जाए ये और बस कोई आस नहीं।



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