फिर भी हर पल जीने की आस रहती है तो बस हर कहीं एक अपूर्णता...! फिर भी हर पल जीने की आस रहती है तो बस हर कहीं एक अपूर्णता...!
जहाँ होती खड़ी, मेरे सपनों की इमारत, वह सुनसान पड़ा है। जहाँ होती खड़ी, मेरे सपनों की इमारत, वह सुनसान पड़ा है।
सृष्टि ने इस ब्रह्मण्ड में कुछ खाली जगह छोड़ दी है, हम में से प्रत्येक उस खालीपन को भरने की कोशिश मे... सृष्टि ने इस ब्रह्मण्ड में कुछ खाली जगह छोड़ दी है, हम में से प्रत्येक उस खालीपन...
कल तक जिसे सम्पूर्ण समझा था आज पूर्ण रह गया है, आज जिसे सम्पूर्ण मान रहे है, वो कल पूर्ण कहलायेगा कल तक जिसे सम्पूर्ण समझा था आज पूर्ण रह गया है, आज जिसे सम्पूर्ण मान रहे है, वो ...
अधूरे सपनें... अधूरे सपनें...
लेकिन किसी अधूरे इश्क़ की कहानी है, इसलिये थोड़ा पहचानता हूँ || लेकिन किसी अधूरे इश्क़ की कहानी है, इसलिये थोड़ा पहचानता हूँ ||