75 नोट आउट
75 नोट आउट
याद करें आपाधापी
छटपटाहट मुक्ति की
अंग्रेजों की गुलामी से
गुलामी से आजादी की।
नया हिंदुस्तान बन रहा था
विभाजन भी सुनिश्चित था
ऊहापोह, डर का माहौल था
अपनों से बिछड़ने भी था।
सर्वत्र निछावर करने वाले
का भारत भी बनाना था
बहुत जो ,कर गुजरना था
हमको ,साबित करना था ।
हालात ने जैसा देश हमें दिया
हमने सहर्ष स्वीकार किया
सच यही ,अब यही सच्चाई है
पिछली बातों की अब जगह नहीं
आगे बस आगे बढ़ते जाना है।
जो सपने वीरों ने देखे थे
साकार, आकार सब दें रहें हैं
आजादी को हर स्तर पर
ग़रीब आदिवासी निवासी
प्रवासी तक पहुचाना है ।
अपने अपने हिस्से की जिम्मेदारी
अपने कंधों पर सबको है उठानी
नेता अभिनेता कर्मचारी गृहणी
मिलकर श्रेष्ठ भारत बनाना है
मन वचन कर्म आत्मा शरीर से ,
देश की आन-बान शान को
सदा आगे, और आगे बढ़ाना है।